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भुलाए बिना चैन न पाओगे || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता (2014)

2019-11-26 1 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />९ मार्च २०१४<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />Ashtavakra Gita (अध्याय १६ श्लोक ११)<br />हरो यद्युपदेष्टा ते हरिः कमलजोऽपि वा।<br />तथापि न तव स्वाथ्यं सर्वविस्मरणादृते॥<br /><br />अर्थ:<br />तुम्हें चाहे ब्रह्मा, विष्णु और महेश आ जाएँ पढ़ाने लेकिन जब तक तुम सब कुछ विस्मृत नहीं कर देते तब तक तुम स्वस्थ न होओगे।<br /><br />प्रसंग:<br />ऐसा क्यों कह रहे है? अष्टावक्र, "तुम्हें चाहे ब्रह्मा, विष्णु और महेश आ जाएँ पढ़ाने लेकिन जब तक तुम सब कुछ विस्मृत नहीं कर देते तब तक तुम स्वस्थ न होओगे।"<br />भरे हुई मन कि सफाई कैसे करे?<br />क्या पुराने को बिना छोड़े हुए नये कि कल्पना की जा सकती है?<br />बिना बंधन को छोड़े मुक्ति संभव है?

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